दिल की दहलीज पर, फिर दस्तक दी है किसी ने
आज मेरे अरमानों को, फिर महक दी है किसी ने
अंधेरों में गुम ज़िंदगी जी रहा था मैं तो,
पर बुझते हुए दीये को, फिर चमक दी है किसी ने
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दिल की दहलीज पर, फिर दस्तक दी है किसी ने
आज मेरे अरमानों को, फिर महक दी है किसी ने
अंधेरों में गुम ज़िंदगी जी रहा था मैं तो,
पर बुझते हुए दीये को, फिर चमक दी है किसी ने