मैं तो बस एक बुत हूँ जिसमें कोई भी अहसास नहीं
कितने तूफ़ां गुज़र गये मुझे इसका भी आभास नहीं
कितनों ने मुझ पर कूड़ा फैंका कितनों ने आघात किये
फिर भी में खामोश खड़ा सब देख रहा संताप लिये
कितनों ने मुझको प्यार दिया कितनो ने नफरत से देखा
सब भूल गया, कुछ याद नहीं, कुछ रखा नहीं मैने लेखा :(

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