ऐ #खुदा तूने एक पल खुशी का दिया तो होता,
कभी मेरे #सपनो को सच होने दिया तो होता...
निभाता मैं भी खुशी खुशी अपने रिश्ते वादे,
कभी किसी का मुझे बनने दिया तो होता...
होती है मस्क्कतें, मिलता है कितना #दर्द,
कभी मेरे #ख्बावों को तूने #सजने तो दिया होता...
फिरता हूँ अकेला बेगानों की तरह गली चौराहों पे,
कभी किसी की बगिया का फूल बनने दिया तो होता...
आए थे वो भी एक बार #मोहब्बत का #पैगाम लेकर,
मगर #इज़हार के लिए #उनके, मुझे #जिन्दा किया तो होता...