हम तो एकदम अबोध थे, पर दुनिया ने क्या बना दिया
किसी को हिन्दू, किसी को ईसाई तो किसी को मुस्लिम बना दिया
हम सोचते थे कि ईश्वर एक है कण कण में समाया है,
पर उसके लिये कहीं गिरज़ा, कहीं मस्ज़िद तो कहीं मंदिर बना दिया
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हम तो एकदम अबोध थे, पर दुनिया ने क्या बना दिया
किसी को हिन्दू, किसी को ईसाई तो किसी को मुस्लिम बना दिया
हम सोचते थे कि ईश्वर एक है कण कण में समाया है,
पर उसके लिये कहीं गिरज़ा, कहीं मस्ज़िद तो कहीं मंदिर बना दिया