फूलों की महक या कांटों की खरास लिखूँ
या अपनों से बिगड़ते रिश्तों की खटास लिखूँ
इस ज़िंदगी में पाये धोखों की रबानी लिखूँ
या अपनों से मिले घावों की कहानी लिखूँ
इस जनता के दुख दर्द का हिसाब लिखूँ
या नेताओं के स्वार्थ पर एक किताब लिखूँ
हर दफ़्तर में घुसे भ्रष्टाचार की बात लिखूँ
या भ्रष्ट तरीके से काम कराने की बात लिखूँ
हर चेहरे पर चढ़े झूठे मुखौटों की बात लिखूँ
या किसी के ज़ज़्बातों से खेलने की बात लिखूँ
प्यार के अंधे दीवानों के बिगड़ते हालत लिखूँ
या उनकी आँखों से बहते दिलों के ज़ज़्बात लिखूँ
दिल कहता है वही लिखूँ जो दोस्तों की चाहत है,
अब तुम्हीं बताओ दोस्तो कि मैं क्या क्या लिखूँ