हर किसी ने चेहरों पर, झूठ के मुखौटे लगा रखे हैं
किसी ने मुस्कराहट, तो किसी ने ग़म सजा रखे हैं
अंदर की असलियत क्या है कोई नहीं जानता,
झांक कर देखें तो कैसे, दिलों पर तो पर्दे लगा रखे हैं

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