यूं चहरे पे हवाइयां, दिल बेचैन सा क्यों है
क्या हुआ है #शहर को, ये बेजान सा क्यों है
यहाँ चल रही हैं आजकल ये कैसी हवाएँ,
इस शहर में हर तरफ, कोहराम सा क्यों है
पत्थरों की दुनिया पत्थर #दिल लोग यहाँ,
है #ज़िंदगी मगर, यहाँ पे शमशान सा क्यों है
फूलों के चेहरे भी जाने क्यों ग़मगीन हैं इतने,
आज #गुलशन का हर कोना, वीरान सा क्यों है
हर शख्स परेशान है सिर्फ अपने लिए यारो,
गैरों के लिए इन्सां, इतना बदनाम सा क्यों है ?

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