ज़रा सी देर में, इसरार बदल जाते हैं
वक़्त के साथ, इक़रार बदल जाते हैं

दौलत है तो सब दिखते हैं अपने से,
वर्ना तो यारो, दिलदार बदल जाते हैं

न करिये यक़ीं अब इन हवाओं पे भी,
मिज़ाज़ इनके, हर बार बदल जाते हैं

भूल जाओ अब तो सौहार्द की भाषा,
वक़्त पड़ने पर, घरवार बदल जाते हैं

जब तक समझ आते हैं अपने पराये,
जीने के तब तक, आसार बदल जाते हैं

न आजमाइए अब खून के रिश्तों को,
वक़्त पे उनके, व्यवहार बदल जाते हैं

न ढूंढिए 'मिश्र' अब मोहब्बत को इधर
देखते ही देखते, बाज़ार बदल जाते हैं

Leave a Comment