अनजान सा डर मुझे डराता क्यों है
जो गुज़र गया वो याद आता क्यों है
ढूढ़ती हैं हर वक़्त ये निगाहें किसको,
जो दूर है वही दिल को भाता क्यों है

ढूढता हूं उसको जिसे देखा नहीं कभी,
गर नहीं है तो ख्वाबों में आता क्यों है
दिल तो पागल है अंजान साये के लिये,
गर साया है वो तो दिल जलाता क्यों है

दुनिया में और भी हैं दिल लगाने को,
रास्ता बंद है उधर ये दिल जाता क्यों है
हर ख़्वाब किसी का पूरा हो ज़रूरी नहीं,
फिर भी ये बात हर शख़्स भुलाता क्यों है

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