गर बस में नहीं है कुछ भी, तो झूठा दिलासा तो दे !
चल बातों का ही सही, दिल को कुछ सहारा तो दे !
डूबते हुए को तो तिनके का सहारा भी काफी है,
कम से कम तू, साथ निभाने का कोई वादा तो दे !
तू समझता है कि शायद तेरा भी गुनहगार हूँ मैं,
तो तू भी मुझ को, दी सजा का कुछ इशारा तो दे !
सींचा है प्यार का ये पौधा बड़े ही जतन से दोस्त,
कर दे बर्बाद मगर, नफ़रत का कुछ मसाला तो दे !
वक़्त के साथ क्यों टूट जाते हैं अटूट रिश्ते,
कोई रिश्ता तोड़ने से पहले, सबब का हवाला तो दे !
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