दुश्मन हूँ तेरा, तो दिल जलाने के लिये मिल
तू एक बार फिर से, मुझे रुलाने के लिये मिल
अरे कुछ तो कद्र कर मेरे #प्यार की ज़ालिम,
झूठा ही सही, दुनिया को दिखाने के लिये मिल
किस किस से छुपाएँ अपने दिल के ज़ख्म,
मरहम न सही, तो नमक लगाने के लिये मिल

ज़िंदगी भर मैं ही मनुहार करता रहा तेरी,
अगर प्यार नहीं तो, मुझे सताने के लिये मिल
नादान दिल देखता है सिर्फ तेरे ही ख़्वाब,
उस नादान को, फिर सबक सिखाने के लिये मिल

जानता हूँ लम्बी है मजबूरियों की फेहरिस्त,
तू अपनी मज़बूरियां फिर से बताने के लिये मिल
ज़िंदगी की गाड़ी तो न चल सकी साथ तेरे
कम से कम, दो पल तो साथ बिताने के लिये मिल...

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