जैसा मुकद्दर ने चाहा, हम उधर चल दिये
कई बार गिरे फिर भी, उठ कर चल दिये
बड़ी ही #दिल फ़रेब निकली ये दुनिया यारो,
हम ग़मों को ढोये, होके मज़बूर चल दिये
अपनों का क्या कहें वो हमारे न बन सके,
बस हालात से डर कर, हम दूर चल दिये
हर शख़्स मुझे लगता रहा अपना सा,
पर हम तो बेगानों की तरह, अकेले चल दिये

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