दिल एक है, पर हरकतें हज़ार करता है
कभी नफरत, तो कभी वो प्यार करता है
जमीं एक है,पर वनस्पतियाँ हज़ार देती है
कोई जीवन देती है, तो कोई मार देती है
दिल और जमीं को, खुद बनाना पड़ता है
क्या चाहिये, वो खुद ही उगाना पड़ता है
जैसा बीज पड़ेगा, पौधा वैसा ही बनता है
जैसी सोच बनेगी, दिल वैसा ही चलता है