आये थे ऐसे कि, दिल में समा कर चले गए,
सो रहे थे चैन से, कि वो जगा कर चले गए !
न ठहरे वो इक पल भी मेरे गरीबखाने पर,
दिखा के बस झलक, जी दुखा कर चले गए !
न आया समझ कि ये हक़ीक़त है या सपना,
वो तो अजीब सी, हलचल मचा कर चले गए !
आये थे कुछ कहने मगर न कह सके शायद,
बस दिल की बातें, दिल में छुपा कर चले गए !
वैसे भी क्या कमी थी हमें रुसबाइयों की दोस्त,
जो यूं ही ढेर सारी, मायूसियां बढ़ा कर चले गए !