जैसे कि रंग पहले थे, न दिख रहे हैं आजकल,
सितारे वो चाहत के, न दिख रहे हैं आजकल !
यहाँ तो कांटे ही नज़र आते हैं इधर गुलशन में,
अब फूलों भरे वो गोशे, न दिख रहे हैं आजकल !
#ज़िन्दगी के सफर में हमें रोज़ मिलते थे कभी वो,
अब #मुस्कान भरे चेहरे, न दिख रहे हैं आजकल !
क्या हुआ है मेरे अज़ीज़ों की महफिलों को दोस्तो,
अब कहकहों के सुर भी, न दिख रहे हैं आजकल !
हमसे न पूँछिये इस पुराने #दिल के हालात दोस्तो,
उसे तो अपनों के साये भी, न दिख रहे हैं आजकल !