कैसे जियें, ये दर्दे दिल मुस्कराने नहीं देता,
कोई, ज़ज़्बात ए #मोहब्बत निभाने नहीं देता !
बिछा देता है राह में हज़ार कांटे ये जमाना,
वो कभी भी, खुशियों के पल आने नहीं देता !
पीछे खींचने की फितरत है हर आदमी की,
यहां किसी को भी कोई, आगे जाने नहीं देता !
कैसे लिख सकें हम खुशियों के तराने,
जब #दिल, खुशनुमा अल्फ़ाज़ बनाने नहीं देता !