उन दर्द भरे लम्हों को मत सोचो,
कहीं फिर से न कोई पीड उभर आये
जिनको भुलाया था बामुश्किल से,
कहीं फिर से न कोई तीर निकल आये
क्यों उलझे हो अतीत के झंझट में,
आगे जीवन अभी बहुत पड़ा है,
कहीं फिरसे न कोई कील निकल आये
उन दर्द भरे लम्हों को मत सोचो,
कहीं फिर से न कोई पीड उभर आये
जिनको भुलाया था बामुश्किल से,
कहीं फिर से न कोई तीर निकल आये
क्यों उलझे हो अतीत के झंझट में,
आगे जीवन अभी बहुत पड़ा है,
कहीं फिरसे न कोई कील निकल आये