ज़ख्मों का दर्द, छुपा के देख लिया हमने
अपने ज़िगर को, जला के देख लिया हमने
किसी को ग़म नहीं हमारे रंज़ ओ गम का
अपना आशियाँ, जला के देख लिया हमने
अब तो देखने को नहीं बाक़ी बचा कुछ भी,
बर्बादी का राज़, सब को बता दिया हमने
वो हमारे बन कर भी हमसे दूर हो गये,
उनके अनेक चेहरों को, देख लिया हमने
कोई बिसात नहीं हमारी उनकी नज़रों में,
उनकी बेवफाई का आलम, देख लिया हमने
कोई फ़र्क़ उनकी बेवफा नज़रों में न दिखा,
उनके मोहल्ले में, जाकर देख लिया हमने
 

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