यारो ज़िंदगी के सफर में, जलालत कम नहीं है
हर कदम पर फिसलने की, हालत कम नहीं है
मुश्किलों का दौर तो आता है आता ही रहेगा,
पर हमारे दिल में किसी को, चाहत कम नहीं है
क्या देखते हो हमारे चेहरे की बेचैनियां दोस्त,
हमारे दिल में धड़कनों की, आहट कम नहीं है
इन राहों की ठोकरों से तो बावस्ता हैं हम भी
मगर उनसे निजात पाने की, ताकत कम नहीं है
सच है कि उलझे हैं ज़िंदगी की कश्मकश में हम,
मगर खुशियों को बंटाने की, आदत कम नहीं है
हर वक़्त अपने अश्कों को मत दिखाइए "मिश्र",
इस दुनिया में हर किसी को, तवालत कम नहीं है