हम पक्षी तो नहीं, के हमारे पंख हो
फिलाल भटका हुआ हूँ
जिसका कोई पथ हो
वो इंसान बनना चाहता हूँ
मैं बिन पंखो के, उड़ना चाहता हूँ

छू लू आज मैं, इस ऊँचे आसमान को
पर रास्ता तो मिले
मेरे करवान को
इसे नापना चाहता हूँ
मैं बिन पंखो के, उड़ना चाहता हूँ

छू कर बादलों को, महसूस इन्हे कर लु
बैठ कर ज़रा पास
दो बातें इनसे कर लु
दिल हल्का करना चाहता हूँ
मैं बिन पंखो के, उड़ना चाहता हूँ

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