उसका अक्स दिल से, अब तक न हटाया हमने,
ज़ालिम बेवफ़ा को, अब तक ना भुलाया हमने !
जलाया था उसने ही कभी मोहब्बत का दीया,
वो जल रहा है यूं ही, अब तक न बुझाया हमने !
लम्बी फेहरिस्त है उसकी जफ़ाओं की दोस्तो,
लेकिन ज़िगर उसका, अब तक न दुखाया हमने !
बहुत चोट खायी है इस नादान दिल ने मगर,
उसे अपने ज़ख्मों को, अब तक न दिखाया हमने !
ये जो दुनिया है ये तो बस मज़े लेती है दोस्त ,
हवा को भी अपना ग़म, अब तक न बताया हमने !