जब थे, तो किसी ने न चाहा, अब याद करने में क्या रखा है
जीते जी न की बात हमसे, अब बात करने में क्या रखा है
जब सामने थी ज़िंदगी तब न झांका किसी ने,
भूली बिसरी उस दास्तां को, अब वयां करने में क्या रखा है
जब थे, तो किसी ने न चाहा, अब याद करने में क्या रखा है
जीते जी न की बात हमसे, अब बात करने में क्या रखा है
जब सामने थी ज़िंदगी तब न झांका किसी ने,
भूली बिसरी उस दास्तां को, अब वयां करने में क्या रखा है