हमें परायों से नहीं, अपनों से डर लगता है
हमें तो सच से नहीं, सपनों से डर लगता है
दिल में चाहत के तूफ़ान तो बहुत हैं मगर,
हमें तो बनावटी, मोहब्बतों से डर लगता है
हमने देखा है बहुत कुछ ज़िंदगी में यारो,
हमें शातिरों से नहीं, शरीफों से डर लगता है
जाने कितने किरदार देखे हैं उम्र भर हमने,
हमें चाशनी में पगी, बातों से डर लगता है
अब न दिखता है कोई मेल चेहरे का दिल से,
हमें दिल में उमड़ते, ज़हरों से डर लगता है
चाहत तो हमारी भी है सितारे छूने की मगर,
हमें आसमां से नहीं, खजूरों से डर लगता है
न समझ लेना ये कि हम तो कायर हैं "मिश्र",
हमें तो शेरों से नहीं, सियारों से डर लगता है