अपनों की ख़ुशी, दुनिया के ग़म भुला देती है
नेक दिली, एक आदमी को इंसान बना देती है
ज़रा संभल के चलना ज़िंदगी की डगर पर,
ज़रा सी भी चूक, आदमी को शैतान बना देती है
न करो इच्छा किसी से मदद पाने की दोस्त,
औरों की मदद, आदमी को नाकाम बना देती है
जो चीज़ अपनी है उस पर भरोसा करो,
दीगर की चाहत, आदमी को बेईमान बना देती है