रहना है इस शहर में, तो अपनी फितरत बदल डालो
#अजनबी शहर में, अपनी झूठ की इबारत बदल डालो
ज़िन्दगी में बहुत कर चुके अपनी मनमानी तुम,
रहना है अगर प्यार से, तो अपनी #आदत बदल डालो
लाख दुश्मनी सही फिर भी #रिश्ते नहीं तोड़े जाते,
तुम ही ख़ुदा हो सबके, अपनी ये कहावत बदल डालो
इस #जीवन की रंगोली में नफरत के रंग न भरिये,
इस में #मोहब्बत के रंग भर कर, सजाबट बदल डालो
#नफरतों की दीवारों को जल्द गिराना होगा,
वर्ना तो बंटते रहेंगे आँगन, नज़रे हिक़ारत बदल डालो

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