अपने प्यार का अशियाना, कभी हमने भी सजाया था
उसके ज़र्रे ज़र्रे ने फक़त, मोहब्बत का गीत गाया था
लम्बे वक़्त तक महफूज़ रखा हमने पर,
एक लम्हें में लुट गया सब, जो बड़े नसीब से पाया था
अपने प्यार का अशियाना, कभी हमने भी सजाया था
उसके ज़र्रे ज़र्रे ने फक़त, मोहब्बत का गीत गाया था
लम्बे वक़्त तक महफूज़ रखा हमने पर,
एक लम्हें में लुट गया सब, जो बड़े नसीब से पाया था