तमन्नाओं को लोग, पूरा होने नहीं देते,
खुशियों के बीज वो, कभी बोने नहीं देते...
क्यों कर रुलाता है सब से ज्यादा वही,
जिसको कभी भी हम, यूं रोने नहीं देते !
हम तो टूटने के लिए बेक़रार हैं लेकिन,
दुनिया वाले फिर से, एक होने नहीं देते !
ज़फ़ाओं का तूफ़ान मचलता है जब कभी,
तो बर्बादियों के निशाँ, हमें सोने नहीं देते !
बुरा बनता है वही जो लुटाता है सब कुछ,
खुश हैं वो जो, अठन्नी भी खोने नहीं देते !