आते हैं आज मंहगे, कल सस्ते भी आएंगे
कभी चल कर तेरे क़रीब, रस्ते भी आएंगे
न हो ग़मज़दा इन पतझड़ों से अय बागवाँ,
बची हैं गर शाखें, तो फिर से पत्ते भी आएंगे
समय का चक्र तो घूमेगा अपने हिसाब से,
आये हैं बुरे दिन, तो कभी अच्छे भी आएंगे
न हो #उदास देख कर वीरानगी गुलशन की,
परिंदे बनाने नीड़ अपना, फिर से भी आएंगे
न छोड़िये विटप की परवरिश का सिलसिला,
आज आये हैं फल खट्टे, कल मीठे भी आएंगे
#ज़िन्दगी के इस मेले में आएंगे लोग कैसे कैसे,
गर आएंगे कभी शातिर, तो फ़रिश्ते भी आएंगे

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