एक चिड़िया अपने बच्चों पर कितना प्यार लुटाती है
हर मौसम में वो दाना चुंग कर कितना कष्ट उठाती है
पर जैसे ही बच्चों को पंख लगे खुद ही उन्हें उड़ाती है
अब खुद ही अपना भोजन ढूंढो उनको ये पाठ पढ़ाती है
हम भी उस चिड़िया की तरह बच्चों पर प्यार लुटाते हैं
पर माया मोह की बेड़ियाँ डाल कर उल्टा पाठ पढ़ाते हैं
बच्चों से अपना मोह त्याग उन्हें कर्म भूमि में जाने दो
जो करना था तुम कर गुजरे अब उनको कदम बढ़ाने दो

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