आज क्यों हैं ये आंसू यूं छलछलाते हुए
गुज़र गयीं मुद्दतें किसी को भुलाते हुए
उधर खाली पड़ी हैं पगडंडियां दूर तलक
बस चल रहे हैं अकेले हम लड़खड़ाते हुए
वो #वक़्त वो समां तो कब का गुज़र गया
बस जल रहे हैं कुछ दीये टिमटिमाते हुए
#ज़िन्दगी की शाम है अब सोचना है क्या
बस गुज़रते जा रहे हैं #लम्हें सनसनाते हुए
आती हैं जब कभी याद वो शहनाइयां ,
बस गुज़र जाते हैं कुछ पल गुनगुनाते हुए...
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