अब लोग किसी के ग़म को, सहलाने नहीं आते
और तो और अब वे दिखावा भी, करने नहीं आते
अपने फूस के घरों में, दीपक न जलाईये
आज कल आग बुझाने, सगे भाई भी नहीं आते

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