आज आँखों में आंसू, फिर छाये हुए हैं ,
फिर से बेचैनियों के लम्हे, आये हुए हैं !
गड़े मुर्दों ने फिर से ली है करवट यारो,
जिन्हें दफना कर हम तो, भुलाये हुए हैं !
खड़ा हूँ बीच रस्ते में हैरान सा हो कर,
कि ये यादों के तूफ़ान, क्यों आये हुए हैं !
घिर आये हैं बादल ग़मों के हर तरफ से,
दिल भी है बेबस, पाँव लड़खड़ाए हुए हैं !
फेंक देता है इंसान फालतू सामान यूं ही ,
कैसे फेंकें उनको, जो दिल को भाये हुए हैं !!!

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