Shanti Swaroop Mishra

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Tabaahi ke raaste

यारो रास्ते तबाही के, ख़ुद बनाते हैं हम,
नफरतों को दिल में, ख़ुद सजाते हैं हम !
सलीके से फंसते हैं दुनिया की चाल में,
अपना ही घर, अपने हाथों जलाते हैं हम !
वक़्त के आगे न चलता किसी का ग़रूर
पड़ती है अपने सर, तो बिलबिलाते हैं हम !
क्यों न रास आती है शराफत की ज़िंदगी,
ज़रा सी मौज आते ही, बदल जाते हैं हम !
न बचा है कुछ भी अपनों के लिए दिल में,
मगर गैरों के आगे, सर को झुकाते हैं हम !
ये भी तो एक पहलू है ज़िन्दगी का "मिश्र",
कि ख़ुद ही लगाते हैं, ख़ुद ही बुझाते हैं हम !!!

Dil Lutana Aadat Hai

मोहब्बतों में दिल, लुटाना मेरी आदत है,
हर दर्द को सीने में, छुपाना मेरी आदत है !
कोई खून भी कर दे तो किसी का दोष क्या,
यारो क़ातिलों को घर, दिखाना मेरी आदत है !

कर लेता हूँ यक़ीं सब पर मैं आँखें मूँद कर,
हर किसी को राज़े दिल, बताना मेरी आदत है !
जानता हूँ कि डूब सकता हूँ गहरे दरिया में,
मगर इन जोख़िमों को, उठाना मेरी आदत है !

ये न समझो कि कोई भी ग़म नहीं मुझे यारो,
पर क्या करूँ खुशियाँ, जताना मेरी आदत है !
मत समझ लेना कि मैं नाकारा कायर हूँ ,
बस दुश्मनों से भी प्यार, पाना मेरी आदत है !
 

Hisaab Kya Doon

मैं अधूरी हसरतों का हिसाब क्या दूँ ,
उमड़ती फ़ितरतों का हिसाब क्या दूँ !
न देखो मेरे चेहरे की ज़र्द रंगत कोई ,
मैं बिगड़ी किस्मतों का हिसाब क्या दूँ !
कैसे कटी है ज़िन्दगी दहशतों में मेरी,
दुनिया की नफरतों का हिसाब क्या दूँ !
न रखा कभी वास्ता उन मेरे अपनों ने,
मैं गैरों की रहमतों का हिसाब क्या दूँ !
दौड़ा किया मैं उम्र भर जीने की खातिर,
यारो अपनी मेहनतों का हिसाब क्या दूँ !
मैं ढोया हूँ अकेले ही ज़िन्दगी को "मिश्र",
भला अपनी ख़ल्वतों का हिसाब क्या दूँ !!!

Dagabaaz nahin hoon

Dagabaaz nahin hoon hindi shayari status

हूँ परेशान मगर, नाराज़ नहीं हूँ ,
झूठे #सपनों का, मोहताज़ नहीं हूँ !

जिया हूँ ग़मों में भी मज़े के साथ,
मैं बिगड़े सुरों का, साज़ नहीं हूँ !

देख लिए सभी ने सितम ढा कर,
मैं उनकी तरह, दगाबाज़ नहीं हूँ !

#रिश्तों को निभाया जतन से मैंने,
पर चुप रहूँ मैं, वो आवाज़ नहीं हूँ !

ईमान से जीने का आदी हूँ ,
मैं कोई #दिल में छुपा, राज़ नहीं हूँ !

Sheeshe Ka Hai Dil

शीशे का है #दिल, ठोकर मत लगाना मुझको !
बाज़ारे इश्क़ में, तमाशा मत बनाना मुझको !

तुम को रखा है ख्वाबों सा पलकों में सजा के,
बेसबब अपनी नज़रों से, मत गिराना मुझको !

छोड़ कर दुनिया को थामा है तेरा दामन मैंने,
कभी फरेबों के जाल में, मत फ़साना मुझको !

गुज़री है उम्र सारी, जाने कितनी आफतों से
ख़ुदा के वास्ते,अब और मत सताना मुझको !

तमन्ना है कि ख़ुशी से गुजारूं ये ज़िंदगी ,
अब ग़मों की भूली दास्तां, मत सुनाना मुझको !