Har Dil Agar Suhana Hai To
हर दिन अगर सुहाना है, तो उसकी मंज़िल रात क्यों है
जीत में गर खुशी है, तो खेल में हार की बात क्यों है
पैदा हुए हम जीने के लिये, फिर मरने की बात क्यों है
जब इत्रेमोहब्बत महकता है, तो नफरत की बात क्यों है
जब अपनों की ये दुनिया है, तो बेगानों की बात क्यों है
दोस्ती की कसम खा कर भी, पीछे से घात क्यों है