वो औरत है जिसने हमको, दुनिया में लाने का काम किया
वो औरत ही है जिसने हमको, भाई होने का सौभाग्य दिया
भूखे पेट सो गयी माता, पर हमको तो भर पेट खिलाया
रात रात भर जागी मां, पर लोरी गा गा कर हमें सुलाया
इस पूज्यनीय औरत ने ही, सम्पूर्ण सृष्टि का सृजन किया
वो ना होती तो कुछ ना होता, इस दुनिया पर अहसान किया
ये औरत ही किसी की भगिनी है,औरत ही किसी की पत्नी है
ये औरत ही मां की ममता है, ये औरत ही किसी की बेटी है
ममता की मूरत इस नारी ने, हमको जीवन का संदेश दिया
नफ़रत, गुलामी,जुल्मो सितम, ना सहने का अनुदेश दिया
कुछ पापी, दुष्ट, दुराचारी, इसकी महिमा को भूल गए
उसके सम्मान को तार तार कर, अपनी मर्यादा भूल गए
किसी ने इसकी अस्मत लूटी,किसी ने जला कर मार दिया
कुछ पापी मां बापों ने, इसे बस्तु समझकर बेच दिया
इस उपकार के बदले में ,औरत को तो कुछ भी न मिला
भूखे रहना, खून पिलाना, इस ममता को कैसा सिला मिला
मैं तो बस एक बुत हूँ जिसमें कोई भी अहसास नहीं
कितने तूफ़ां गुज़र गये मुझे इसका भी आभास नहीं
कितनों ने मुझ पर कूड़ा फैंका कितनों ने आघात किये
फिर भी में खामोश खड़ा सब देख रहा संताप लिये
कितनों ने मुझको प्यार दिया कितनो ने नफरत से देखा
सब भूल गया, कुछ याद नहीं, कुछ रखा नहीं मैने लेखा :(
रिश्तों का महल बनाने में, उम्र गुजर जाती है
पर बेरुखी की आँधी, इसे झट से निगल जाती है
मेहनत से बने इस महल को, यूं न ढहने दीजिये
आंधियां तो आती हैं, इसे निशाना न बनने दीजिये
नहीं रहे वो दिन जब बच्चे, बड़ों का वचन निभाया करते थे
स्थिति चाहे जैसी भी हो, उनका हर कथन निभाया करते थे
इस बदले वक़्त ने ये सब भुला दिया,
हम बुज़ुर्ग कभी इन बच्चों के, हर धरम निभाया करते थे
समय बदल गया, अब अपने को, आगे ज्यादा मत कीजिये
अपनी सन्तान के बल पर, किसी से कोई वादा मत कीजिये
आपकी शान बचे न बचे कुछ पता नहीं,
बेहतर यही है कि, अपनों के भरोसे कोई इरादा मत कीजिये
पत्थर की है ये दुनिया, यहाँ जज्बातों की कदर नहीं
दिल में मेरे तूफान मचा है, इसकी किसी को #खबर नहीं
बुतों के जंगलों में फंस गया हूँ मैं ,
किधर निकलूं किधर जाऊं, दिखती कोई डगर नहीं.. :(