Ghadi ki Tik Tik ka Sabak
घड़ी की टिक टिक पलों के खिसकने का सबक देती है
रात आराम तो सुबह काम पर जाने का सबक देती है
सुबह पांच बजे बीबी का अलार्म बजता है
जोरों की नींद आती है पर वो टहलने का सबक देती है
घड़ी की टिक टिक पलों के खिसकने का सबक देती है
रात आराम तो सुबह काम पर जाने का सबक देती है
सुबह पांच बजे बीबी का अलार्म बजता है
जोरों की नींद आती है पर वो टहलने का सबक देती है
लोग दूसरों में अच्छाइयों से ज्यादा, बुराईयां खोजते हैं
फिर उनमें मिली बुराईयों को, बड़ी चतुराई से सोचते हैं
ज़रा किसी की अच्छाइयों को गहराइयों से सोचें,
उन्हें सब मिल जायेगा खुद में, जो दूसरों में खोजते हैं
बूढ़े दरख्तों को भी हमेशा बगिया में लगाये रखिये
अपने बुजुर्गों को भी प्यार से घर में बसाये रखिये
भले ही वांच्छित फल अब नहीं मिलते उनसे
पर एक की छाया तो दूसरे का साया बचाये रखिये
एक चिड़िया अपने बच्चों पर कितना प्यार लुटाती है
हर मौसम में वो दाना चुंग कर कितना कष्ट उठाती है
पर जैसे ही बच्चों को पंख लगे खुद ही उन्हें उड़ाती है
अब खुद ही अपना भोजन ढूंढो उनको ये पाठ पढ़ाती है
हम भी उस चिड़िया की तरह बच्चों पर प्यार लुटाते हैं
पर माया मोह की बेड़ियाँ डाल कर उल्टा पाठ पढ़ाते हैं
बच्चों से अपना मोह त्याग उन्हें कर्म भूमि में जाने दो
जो करना था तुम कर गुजरे अब उनको कदम बढ़ाने दो
एक लीक पर चलने वाला, मुश्किल से मंज़िल पाता है
बस पूरा जीवन चलते चलते, आखिर में थक जाता है
जो वक्त देख कर राह बदल दे,
वह मंज़िल तो क्या, मंज़िल से आगे तक भी जाता है