Sirf sochne se kaam nahi hote
सिर्फ सोचते रहने से, किसी के काम नहीं हुआ करते
कसाई के कोसने भर से,जानवर खत्म नहीं हुआ करते
स्वर्ग जाने के लिये स्वयं मरना ज़रूरी है,
किसी और के किये काम, अपने नाम नहीं हुआ करते
सिर्फ सोचते रहने से, किसी के काम नहीं हुआ करते
कसाई के कोसने भर से,जानवर खत्म नहीं हुआ करते
स्वर्ग जाने के लिये स्वयं मरना ज़रूरी है,
किसी और के किये काम, अपने नाम नहीं हुआ करते
जब थे, तो किसी ने न चाहा, अब याद करने में क्या रखा है
जीते जी न की बात हमसे, अब बात करने में क्या रखा है
जब सामने थी ज़िंदगी तब न झांका किसी ने,
भूली बिसरी उस दास्तां को, अब वयां करने में क्या रखा है
गर कांटे न होते, तो फूल की अहमियत क्या होती
गर दुख न होते, तो सुख की कैफ़ियत क्या होती
एक की तासीर को दूसरे से तौलती है दुनिया,
ये बदबू न होती, तो खुशबू की हैसियत क्या होती
अंधेरे में धक्का देकर, खुद ही पूछते हैं किसने गिरा दिया
खुद ही आग लगा कर, वे पूछते हैं घर किसने जला दिया
ऐसे लोगों को आस्तीन का सांप कहा करते हैं,
छिप कर वार करते हैं, फिर पूछते हैं ये किसने सिला दिया
हवा के साथ तो, कोई बच्चा भी दौड़ लेता है
धावक तो वो है जो, हवा का घमंड तोड़ देता है
आसान सी जिन्दगी जीने में क्या मज़ा,
इंसान तो वो है जो, हर मुसीबत से होड़ लेता है