Shanti Swaroop Mishra

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Log Armaan Kuchal Dete Hein

लोग किसी के अरमानों को, बेरहमी से कुचल देते हैं
पहले सिर पर बिठाते हैं, फिर ज़मीं पर पटक देते हैं
यही तो चाल है दोरंगे लोगों की,
पहले तो मतलब निकालते हैं, फिर हाथ झटक देते हैं

Agar Hum Kuch Kre to Hungama

वो हमारी जान भी लेलें तो कोई बात नहीं,
अगर हम मुंह खोलें तो हंगामा
वो झूठ की महफिल सजाएं तो कोई बात नहीं,
अगर हम सच बोलें तो हंगामा
अपने झूठ का खंडन वो करदें तो कोई बात नहीं,
अगर हम कुछ बोलें तो हंगामा
जब जनता फंसाती है उनको तो दोष हमको देते हैं,
अगर हम खंडन कर दें तो हंगामा

Abhi to Poora Safar Baaki Hai

अभी तो आधा ही सफर गुज़रा है अभी तो रास्ता बाकी है
अभी बामुश्किल यहाँ तक पहुंचे हैं अभी तो फासला बाकी है
मुश्किलों से भरा है ये रास्ता ज़िंदगी का.
कारवाँ अभी से क्यों थक गया अभी तो पूरा सफर बाकी है

Matlabi Log Kitna Badal Jate Hain

अपने मतलब के लिये लोग, कितना बदल जाते हैं
वे अपनों को पीछे धकेल कर, आगे निकल जाते हैं
कोई मरता भी हो तो उनकी बला से,
वो तो लाशों पर पाँव रखकर, आगे निकल जाते हैं

Ye bhi apna apna naseeb hai

कोई तो अपने घर पर सोये, कोई सड़कों पर रैन गुजारे
ये भी कैसा नसीब है
कोई अपनी कारों में घूमे, पर कोई बेचारा पैदल भटके
ये भी कैसा नसीब है
कोई किसी को भिक्षा देता, कोई किसी से भिक्षा लेता
ये सब कितना अजीब है
कोई खाना बर्बाद करे, कोई एक एक रोटी को तरसे
ये सब कितना अजीब है