जब चाहा तो पत्थरों को, भगवान् बना दिया !
जब चाहा तो घर आँगन की, शान बना दिया !
कितना मतलब परस्त है दुनिया का आदमी,
जब मतलब निकल गया, तो अंजान बना दिया !
मुझको हक़ नहीं अब अपनों को राय देने का,
यारो अपने ही घर में मुझे, मेहमान बना दिया !
बड़ी हसरतों से निभाया था हर रिश्ता मगर, #ज़िन्दगी को इस आदत ने, शमशान बना दिया !
कहने को हम क्या कहें उन बेख़बर लोगों से,
जिन्हें खुद की फ़ितरतों ने, शैतान बना दिया !
गर #मोहब्बत भी करे कोई तो कैसे करे "मिश्र",
उसको भी आज लोगों ने, अहसान बना दिया !!!
ज़माने की साजिशें, मिटा सको तो कहो,
गर दिल के फासले, मिटा सको तो कहो !
इधर तोड़ते हैं हर कदम पर हौसला लोग,
फरेबी इन चालों को, मिटा सको तो कहो !
आसान इतनी भी नहीं जीने की राहें दोस्त,
उन पर सजे ख़ारों को, हटा सको तो कहो !
हर कदम पे मिलते हैं ज़िन्दगी के बाज़ीगर,
कुछ तुम भी करतब, दिखा सको तो कहो !
न मिलेगा रहबर कोई इस ज़माने में ,
खुद ही खुद का रास्ता, बना सको तो कहो !