चाहत की इस दुनिया में, केवल व्यापार मिले मुझको
चाहा जिसे फूलों की तरह, उससे ही खार मिले मुझको
कैसे जीया हूँ कैसे मरा हूँ, किसी को कोई गरज नहीं,
दिल में घुस के घात करें, कुछ ऐसे यार मिले मुझको
अपना पराया करते करते, ये जीवन ही सारा गुज़र गया,
ना रही खनक अब रिश्तों में, झूठे इक़रार मिले मुझको
जिसके साथ हँसे खेले, जीवन भर जिसको प्यार किया,
उसने ही कपट की चाल चली, ऐसे किरदार मिले मुझको
यहाँ कौन है अपना कौन पराया, कैसे समझूँ इनको मैं,
ना मिली शराफत ढूंढें से, केवल मक्कार मिले मुझको !!!
Hindi Shayari Status
कभी बात भी होगी, कभी बे बात भी होगी,
ज़िन्दगी लम्बी है यारो, मुलाक़ात भी होगी !
ये ग़मों के सिलसिले न रहेंगे हमेशा दोस्त,
कभी न कभी, खुशियों की बरसात भी होगी !
ज़िन्दगी की राहों में ज़रा सा संभल कर चलिए,
स्वागत में उधर, काँटों की बारात भी होगी !
ये खेल है ज़िन्दगी का ज़रा हिम्मत से खेलिए,
कभी जीते हो ठाठ से, तो कभी मात भी होगी !
आँखें खोल कर रखना ज़रा अपनों से,
सामने से मोहब्बत, पर पीछे से घात भी होगी !
Hindi Shayari Status
गुलशन में लगी आगों को, हम बुझाएं कैसे,
इन #मोहब्बत के परिंदों को, हम बचाएं कैसे !
आँगन में लगे होते तो उखाड़ देते हम यारो,
मगर #दिल में उगे ख़ारों को, हम हटाएँ कैसे !
होता अँधेरा अगर घर में तो जला देते शमा,
पर दिल में भरे अंधेरों को, हम मिटायें कैसे !
न समझा कभी जिसने #नफ़रत के सिवा कुछ,
उनके दिल में मोहब्बतों को, हम बसाएं कैसे !
अब न मिलती इंसानियत ढूढ़ने से कहीं भी,
अब लोगों के सोये ज़ज़्बों को, हम जगाएं कैसे !
अपनी बुलंदियों के गुरूर में ग़ाफ़िल हैं "मिश्र",
फिर जमीं से उनके रिश्तों को, हम बताएं कैसे !
Hindi Shayari Status
गर मंज़िल पास लानी है, तो ख्वाहिशें कम कर दो,
चाहत है अगर खुशियों की, तो रंजिशें कम कर दो !
अब दिखता है हर तरफ फिरकापरस्ती का आलम,
अगर जीना है तुम्हें चैन से, तो साजिशें कम कर दो !
ये सब दौलतें ये सौहरतें तो रहमत है बस खुदा की,
गर चाहो मोहब्बत सब की, तो नुमाइशें कम कर दो !
हर किसी को हक़ है कि जीए ज़िन्दगी अपनी तरह,
बचाये रखनी है अगर इज़्ज़त, तो बंदिशें कम कर दो !
सुकूँ हरगिज़ नहीं मिलता किसी को सताने से "मिश्र",
पानी है दोस्ती की दौलत, तो आजमाइशें कम कर दो !
Hindi Shayari Status
समय के साथ, खुद भी तो बदलना सीखो,
दुनिया के ढांचे में, खुद भी तो ढलना सीखो !
हर कदम पे मिलते हैं अजब किरदार अब,
वो कोंन कैसा है, खुद भी तो परखना सीखो !
करता है फ़ना खुद को वो औरों की खातिर,
तुम दीये की तरह, खुद भी तो जलना सीखो !
मिटा देती है हस्ती वो हमारी जीभ की खातिर,
कभी चीनी की तरह, खुद भी तो घुलना सीखो !
बरसता है बादल जमीं की ज़रुरत समझ कर,
औरों की ज़रूरतें, खुद भी तो समझना सीखो !
हर पत्थर समझता है कि इमारत उसी से है,
ऐसी ग़लतफ़हमी से, खुद भी तो बचना सीखो !
क्यों देखते हो हर किसी में सिर्फ कमियां ,
खुद में ख़ास क्या है, खुद भी तो मथना सीखो !
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