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जीना चाहा तो
ज़िन्दगी, दूर होती चली गयी !
कमाल ये कि हर शै, मजबूर होती चली गयी !
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जुगनुओं की रोशनी से, अँधेरा हटा नहीं करता,
कभी शबनम की बूंदों से, दरिया बहा नहीं करता !
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तुम्हारे चेहरे पे, रंजो ग़म अच्छे नहीं लगते,
हमको गुलों के संग, खार अच्छे नहीं लगते !
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गुज़रेगी चैन से
ज़िन्दगी, हम भी मतलब परस्त हो गए,
चमकते थे सितारे बन आँखों में जो, कब के अस्त हो गए
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दुनिया में खुशियों के नज़ारे, कम नज़र आते हैं,
हर किसी के दिल में, गम ही गम नज़र आते हैं !
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जाते जाते भी तो वो, हज़ार ग़म दे गया हमको,
यूं ही मर मर के, जीने की #कसम दे गया हमको !
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जिन्दगी की कशमकश ने, चाहतों को मार डाला,
धूप की इस तपिश ने, ठंडी हवाओं को मार डाला !
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एहसान करके जताना, ज़रूरी नहीं होता,
#चाहत है कितनी बताना, ज़रूरी नहीं होता !
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चेहरे पे ग़म, दिल में रुसबाइयां दे गया कोई !
जाते जाते भी, आँखों में रुलाइयां दे गया कोई !
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आदमी के तजुर्बों की, एक किताब है
ज़िन्दगी,
उसकी ख़ुशी और ग़मों का, हिसाब है
ज़िन्दगी !
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