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Zara Bach Ke Rehna

लोग अब भी, वो पुराना राग लिए फिरते हैं
सूरज की रोशनी में, चिराग लिए फिरते हैं
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Kuch Dost Aise

बिन सावन बरसात नहीं होती,
सूरज डूबे बिन रात नहीं होती;
होते हैं कुछ ऐसे दोस्त ऐसे भी,
जिनको याद किए बिना
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Sath kab tak rahega

आखिर सांसों का साथ, कब तक रहेगा !
किसी का हाथों में हाथ, कब तक रहेगा !
बस यूं ही डूबते रहेंगे चाँद और सूरज तो,
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Raah pe chalte rahiye

हो के मायूस यूँ ना शाम की तरह ढलते रहिये,,,
#ज़िंदगी एक भोर है #सूरज की तरह निकलते रहिये,,,
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