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#हवा के रुख को कोई #बदल नही सकता,
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सूरज के #ताप को कोई सह नही सकता...
कर ले चाहे कोई कितने ही बदलावों की कोशिशें,
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चढ़ते हुए
सूरज को, सभी झुक कर सलाम करते हैं
मगर जब डूब जाता है वो, तो घर पे आराम करते हैं
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पानी को बर्फ में बदलने में वक्त लगता है,
ढले हुए
सूरज को निकलने में वक्त लगता है....
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ऐ दोस्त, सहारा औरों का तकना छोड़ दे,
ये तो वो कर देगा, ये यकीन करना छोड़ दे
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दुनिया की सारी दौलतें भी, हैं भला किस काम की,
अपनों के बिन ये शौहरतें भी, हैं भला किस काम की !
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बाजरे की रोटी, निम्बू का आचार,
सूरज की किरणे,
चाँद की #चांदनी और अपनों का #प्यार.
हर जीवन हो खुशहाल
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गर राहों की मुश्किलों को, सह सको तो चलो,
गर तुम बेरुखी की धुंध में, रह सको तो चलो !
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यूं ही यादों का कारवां गुज़रता रहेगा,
सूरज भी रोज़ डूबता निकलता रहेगा !
फासलों से मोहब्बत नहीं मिटा करती,
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तेरे सब्र का नतीजा भी, ज़रूर निकलेगा !
मुश्किलों से बाहर भी तू, ज़रूर निकलेगा !
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मत समझो पत्थरों की दुनिया को सब कुछ,
गर तुमको देखनी है ज़िंदगी, तो गाँव चलिए !
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