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एक टीस है दिल में, जिसे ज़माने से छुपाये बैठा हूँ
किसी की ज़फ़ाओं का सदमा, दिल में ब
साये बैठा हूँ
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किसी से मोहब्बत हम, निभाएं तो कैसे निभाएं
हर तरफ हैं कांटे, खुद को बचाएं तो कैसे बचाएं
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तुम्हारे चेहरे पे, रंजो ग़म अच्छे नहीं लगते,
हमको गुलों के संग, खार अच्छे नहीं लगते !
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जैसे कि रंग पहले थे, न दिख रहे हैं आजकल,
सितारे वो चाहत के, न दिख रहे हैं आजकल !
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जब कभी बादल, मेरे आँगन पे गरजते हैं,
तब तब उनकी यादों के,
साये लरजते हैं !
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हर तरह के 👹 मुखौटे 👺, वो लगाए हुए हैं,
लोग औकात अपनी, यूं छुपाये हुए हैं !
क़त्ल करके भी बेगुनाह बनते हैं वो,
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तेरी यादों का ज़खीरा, कब तक दबाये रखूँ
दिल में वो तेरी सूरत, कब तक ब
साये रखूँ
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क्यों लिखते हो अय दोस्त, ये तराने मोहब्बतों के ,
जब कि दिखते हैं हर तरफ, अब
साये नफ़रतों के !
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