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क्या कहूँ और कैसे कहूँ,
कि मैं क्या #लिखता हूँ..
हर #व़क्त के हर #लम्हें में,
नये #अल्फ़ाज लिखता हूँ...
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किस को हकीकत कहें, किस को वहम
समझें
किस को कमतर कहें, किस को अहम
समझें
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क्या कहूँ उन #लोगों को, जिन्होंने मेरा #साथ छोड़ दिया,
क्यूँ छोटी सी #बात पर उन्होंने, मेरा #हाथ छोड़ दिया...
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कंप्यूटर इंजीनियरिंग लड़की को किसी लड़के ने छेड़ा
.
उसका गुस्सा ऐसे निकला .... अरे ओ
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क्या गुज़री है दिल पर, कौन
समझता है
किसी और का दर्द, भला कौन
समझता है
खो गए गमों की भीड़ में मेरा #नसीब था,
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उतार चढ़ाव तो हर शख्स की
#जिन्दगी में आता है....
जो #सम़झ सके इस बात को
वही #इन्सान कहलाता है...
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हर किसी के लिये महज़
लफ्ज़ नही होता "#प्यार",
कुछ लोग
समझते हैं इसे #ज़िन्दगी
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समझने वाले के लिए, ज़रा सा इशारा काफी है
डूबने वाले के लिए, तिनके का सहारा काफी है
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ज़िन्दगी बिता दी मगर वो मोहब्बत नामिली
अपनों की बेरूखी से हमें कभी फुर्सत ना मिली
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गुलाब दिवस तू, रोज़ रोज़ क्यों नहीं आता
तू दुनिया को खुश रहना, क्यों नहीं सिखाता
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