15 Results
फरेबियों को तो हम, अपना समझ बैठे
हक़ीक़त को तो हम,
सपना समझ बैठे
मुकद्दर कहें कि वक़्त की शरारत कहें,
View Full
रूठे गर जमाना भी, तो मना लेंगे हम,
भड़कते हैं शोले भी, तो बुझा देंगे हम !
अपनों का साथ हो तो ग़म कैसा यारो,
View Full
आये थे ऐसे कि, दिल में समा कर चले गए,
सो रहे थे चैन से, कि वो जगा कर चले गए !
न ठहरे वो इक पल भी मेरे गरीबखाने पर,
View Full
दिल के शोलों की जलन, हमसे पूछो,
कैसी है कांटो की चुभन, हमसे पूछो,
हो चुका है ख़त्म दौर-ए-शराफत अब,
View Full
कहीं बैठ के कोने में, मैं रोना चाहता हूँ ,
ग़मों को आंसुओं से, मैं धोना चाहता हूँ !
View Full