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कुटिलों की इस दुनिया में, सीधे लोगों का कुछ काम नहीं
बिना कुटिलता के इस युग में, अब कोई काम आसान नहीं
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कदम रुक गए जब पहुंचे हम रिश्तों के बाज़ार में...
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जन्म दूसरे ने दिया
नाम दूसरे ने दिया
शिक्षा दूसरे ने दी
रिश्ता भी दूसरे से जुड़ा
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जो हुआ अच्छा हुआ
जो हो रहा है वो अच्छा हो रहा है
जो होगा वो भी अच्छा होगा ...
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माँ , तेरी गोद...
मुझे मेरे #अनमोल होने का एहसास कराती है..!!
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माँ , तेरी #हिम्मत...
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गर मुझे मुकद्दर पे ऐतबार है तो तेरी वजह से
घर का गुलशन गर गुलज़ार है तो तेरी वजह से
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हम तो अपनों को, अपना
संसार समझ बैठे,
उन्हें ज़िन्दगी की नैया का, पतवार समझ बैठे !
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कान्धे पर लिये झोला जाने लगे बाजार
लाना था घर के लिए सब्जी भाजी अचार।
तभी श्रीमती जी आईं देख मुझे इठलाईं
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