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Kitne Matlabi Hain Hum

कितने मतलबी हैं हम, कि अपना ही घर देखते हैं !
गर जलता है घर किसी का, तो अपने हाथ सेकते हैं !
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Tumhare Chehre Pe Gam

तुम्हारे चेहरे पे, रंजो ग़म अच्छे नहीं लगते,
हमको गुलों के संग, खार अच्छे नहीं लगते !
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Gam Nazar Aate Hain

दुनिया में खुशियों के नज़ारे, कम नज़र आते हैं,
हर किसी के दिल में, गम ही गम नज़र आते हैं !
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Ye Duniya Kitni Badal Gayi

जिन्दगी की कशमकश ने, चाहतों को मार डाला,
धूप की इस तपिश ने, ठंडी हवाओं को मार डाला !
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Zindagi ka rang badrang

मुझे तो हर तरफ, सिर्फ अँधेरा नज़र आता है,
ज़िंदगी का हर रंग, अब बदरंग नज़र आता है !
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Gam Chupane Ki Aadat Hai

कुछ अलग से, काम करने की आदत है हमें,
हर ज़ुल्म को, हंस के सहने की आदत है हमें !
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Dil ke jazbaat zamane ko

दिल के जज़्बात मैं, ज़माने को जता देता हूँ,
दिल की हर एक बात, यारों को बता देता हूँ !
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Zindagi Ne Rulaya Humko

न पूछो कि ज़िन्दगी ने, कितना रुलाया हमको,
कैसे खास अपनों ने, जी भर के सताया हमको !
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Mazak Lagta Hai Mera Rona

मज़ाक लगता है लोगों को, अब तो मेरा रोना भी,
सबसे बड़ी खता है मेरी, मेरा बदनसीब होना भी !
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Matlabi Dunia Hai Ye

वक़्त के गुज़रते ही, बुरे दिन भी टल जाते हैं !,
मगर कितने ही लोग, दिल से निकल जाते हैं !
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