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जिधर देखता हूँ उधर, अँधेरा ही अँधेरा है !
न जाने कितनी दूर, मेरी रात का सवेरा है !
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मकां तो मिलते हैं मगर, कोई भी घर नहीं मिलता !
अब ईंट और गारे में, दिलों का असर नहीं मिलता !
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दिल की हरकतें, जुबां पे आने लगी हैं धीरे धीरे,
अब अंदर से हसरतें, मुस्कराने लगी हैं धीरे धीरे !
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मेरी ज़िन्दगी की, बस इतनी सी कहानी है !
बस चेहरे पर बेबसी, और आँखों में पानी है !
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ये #ज़िंदगी के खेल भी, कितने अजीब होते हैं !
सच्चाई की राह में, हमेशा काँटे नसीब होते हैं !
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किसी को बेसबब, यूं सताने की कोशिश न करो !
अपनी गलती पे, मुँह छुपाने की कोशिश न करो !
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हर किसी ने चेहरे पे अब, मुखौटे लगा रखे हैं !
किसी ने मुस्कान, किसी ने ग़म सजा रखे हैं !
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यारो ग़मों में भी मुस्कराना, बात छोटी नहीं !
गैरों को भी अपना बनाना, बात छोटी नहीं !
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मैं तो बसता हूँ उनकी साँसों में मगर,
वो मंदिरों मस्जिदों में खोजते फिरते हैं !
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अमृत बता कर
लोगों को, वो ज़हर बेच सकता है ,
अपनी जागीर बता कर, वो समंदर बेच सकता है !
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