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रिश्तों का महल बनाने में, उम्र गुजर जाती है
पर बेरुखी की आँधी, इसे झट से निगल जाती है
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रिश्तों की ये दुनियाँ है निराली
सब
रिश्तों से प्यारी है दोस्ती तुम्हारी
मंज़ूर है आँसू भी आँखों में हमारी
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कदम रुक गए जब पहुंचे हम
रिश्तों के बाज़ार में...
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मैने सभी
रिश्तों को बड़े जतन से निभाया था
अपनों के दिलों को अपने दिल से मिलाया था
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फूलों की महक या कांटों की खरास लिखूँ
या अपनों से बिगड़ते
रिश्तों की खटास लिखूँ
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प्यार का रास्ता आँखों से होकर गुजरता है
क्योंकि हुस्न आँखों से ही दिल में उतरता है
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अपनों के ज़ुनून में सपनों को मिटा दिया हमने,
रिश्तों की चाह में खुद को भी मिटा दिया हमने
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ज़िंदगी के मैंने न जाने कितने रंग देखे हैं
कभी गैरों तो कभी अपनों के संग देखे हैं
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रिश्तों के टूट जाने से अरमान बिखर जाते हैं
जिंदगी की दौड में यूं ही कदम ठहर जाते हैं
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टूटे हुए
रिश्तों ने, जीना दुशवार कर दिया
बिखरे हुए ख़्वाबों ने, दिल बेक़रार कर दिया
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